बीते दिनों में तेलगु देशम पार्टी ने NDA से बहार होने के बाद, सरकार के खिलाफ No confidence motion ले कर आई. आज हम आपको बताना चाहते है की क्या होता है No confidence motion, कौन ये मोशन ला सकता है , क्या है इसके नियम, आईये जानते है इसके बारे में.
क्या होता है No confidence motion ?
किसी भी सरकार में टोटल नंबर की संख्या होती, उस सख्या का आधा उस हाउस की बहुमत मानी जाती है, जिस भी पार्टी की बहुमत होती है उसकी सरकार होती है , उनके लोग मंत्री मंडल में होते है .
जैसे अगर आप लोगसभा की बात करे तो टोटल मेम्बर, जिसे हम सांसद कहते है, वो है ५५२ जिसमे बहुमत होता है २८२ .
किसी भी कीमत में सरकार चलाने के लिए बहुमत होना बहुत जरुरी है .
कोई भी मेंबर उस सदन का No confidence motion सदन में ले कर आ सकता है की, जो सरकार चल रही है उसके पास सरकार चलाने पर्याप्त बहुमत नहीं है . अगर ये मोशन मंजूर कर लिया जाये तो सरकार को सदन में अपनी संख्या साबित करनी होती है.
कौन ला सकता है No confidence motion ?
कोई भी सदन का मेंबर No confidence motion सदन में ला सकता है , चाहे लोक सभा हो या विधान सभा .
No confidence motion मंजूर केसे किया जाता है ?
मोशन को मंजूर होने के लिए स्पीकर वोट के लाते है अगर 50 या उससे अधिक मेम्बर मोशन के पक्ष में वोट करते है तो मोशन मंजूर कर ली जाती है .
Motion मंजूर होने के बाद किया होता है ?
एक बार स्पीकर ने मोशन मंजूर कर लिया तो वो सबसे चर्चा कर के एक दिन चुनती है मोशन में बहस एवं वोटिंग के लिए .
केसे होता है No confidence motion में वोटिंग ?
सदन में मोशन के पक्ष एवं विपक्ष में बहस होने के बाद, मोशन ले कर आया जाता है, सरल शब्दों में कहे तो वोटिंग की जाती है की कितने मेम्बर सरकार के पक्ष में है और कितने नहीं. ये वोटिंग पहले आवाज़ के द्वारा होती है फिर वोटिंग बटन दबा के.
किया होता है जब सरकार No confidence motion हार जाती है ?
अगर सरकार के पक्ष में बहुमत से कम मेम्बर के वोट पड़ते है यानि सदन में मौजूद आधे मेम्बर से कम वोट तो वो सरकार गिर जाती और मंत्री मंडल को इस्तीफा देना पढता है .
No confidence motion दुबारा कितने दिनों बाद लाया जा सकता है .
No confidence motion दुबारा कभी भी लाया जा सकता है, दो No confidence motion के बीच में अन्तराल का कोई कानून नहीं है .
No confidence motion के पुराने उधाहरण
No confidence motion VP SINGh सरकार के खिलाफ दो बार आया एक बार वो जीते एक बार हार गए .
No confidence motion चन्द्रशेकर सरकार के खिलाफ भी आया .
No confidence motion VP सिंह और नर्सिम्भा राव के खिलाफ भी आया था, अटल बिहारी के खिलाफ दो बार आया जिसमे एक में उनकी सरकार १ वोट से गिर गयी . मनमोहन सिंह के खिलाफ भी नयूक्लेअर डील के समय No confidence motion मोशन आया था जब लेफ्ट पार्टी ने अपना समर्थन UPA से हटा लिया था जब समाजवादी और बहुजन समाज पार्टी ने सरकार बचा लिया था.
ये है No confidence motion के बारे में पूरी जानकी आपको ये आर्टिकल केसा लगा हमे जरुर बताये कमेंट में .